कई युवाओं को बनाया अपराधी, जेल से करता था वसूली जीवा

रमाकांत वर्मा, ब्यूरो चीफ

बाराबंकी। लखनऊ में अदालत के अंदर मारा गया गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा ने बाराबंकी जेल में बंद रहने के दौरान व्यापारियों व प्राॅपर्टी डीलरों से खूब वसूली की। उसके एक इशारे में उसके गुर्गे हत्या को अंजाम दे देते थे। जेल में उसका सिक्का चलता था। आपराधिक प्रवत्ति के युवा उसे अपना आईकॉन मानते थे। इसका फायदा उठाते हुए उसने दर्जनों युवाओं को अपने गिरोह में शामिल कर अपराधी बना दिया। इस दौरान उस पर तीन मुकदमे तो दर्ज हुए मगर पुलिस की लचर पैरवी के कारण वह इन मामलों से साफ बरी हो गया। 11 मई 2013 को केंद्रीय कारागार बरेली से जीवा को बाराबंकी जेल में शिफ्ट किया गया था। जेल में आने के कुछ दिन बाद ही जीवा का दरबार लगने लगा। वह बैैरक में नहीं बल्कि जेल के अस्पताल में आराम से रहता था। घर जैसी सुविधाएं उसे दी गईं थी। जेल अधिकारी व बंदी रक्षक उससे खौफ खाते थे। लिहाजा वह जेल से ही सुपारी लेता था और अपने गुर्गों सेे हत्या करवाता था। जेल में रोजाना उससे मिलने वालों की भीड़ लगी रहती थी। कई व्यापारियों व प्राॅपर्टी डीलरों को उसने जेल में बुलाकर रंगदारी मांगी। जेल में बंद रहने के दौरान उसके चर्चे जिले मेें थे। युवा उसको अपना आईकॉन मानते थे। इसलिए उसने कई युवाओं को अपराधी बना डाला। ये युवा उसके गुर्गे बनने के बाद रंगदारी व हत्या की घटनाओं को अंजाम देते रहे। बंकी के सपा नेता अरविंद यादव की हत्या हो या फिर लखनऊ का सत्यप्रकाश हत्याकांड, इनमें जीवा का नाम सामने आया। जेल में बंद रहने के बाद भी जीवा पर रंगदारी मांगने के दो व गैंगस्टर का एक मुकदमा शहर कोतवाली में दर्ज हुआ। बताते हैं कि जीवा अपनी पहुंच के बल पर बाराबंकी जेल में जमा था ताकि लखनऊ से बाराबंकी तक फैले रियल स्टेट के कारोबार में उसका दखल हो सके। 15 मई 2013 को जीवा को कड़ी सुरक्षा में मैनपुरी जेल भेजा गया था। जेलर आलोक शुक्ला स्वीकार करते हैं कि बाराबंकी जेल में बंद रहने के दौरान भी जीवा पर मुकदमे हुए। जेल में होने जा रही थी जीवा-पन्ना की गैंगवार वर्ष 2014 में गोरखपुर का शातिर अपराधी पन्ना लाल यादव उर्फ डॉक्टर, देवकी नंदन उर्फ चंदन सिंह व संजीव माहेश्वरी जीवा एक साथ बंद थे। इस दौरान जीवा व पन्ना के बीच जेल में ही हुई दुश्मनी खूब चर्चित हुई। वर्चस्व को लेकर दोनों में कुछ इस कदर ठनी कि बाहर ही नहीं जेल में भी गैंगवार की आशंकाए प्रबल हो गई थीं। इसके बाद सभी को अलग-अलग जेलों में शिफ्ट कर दिया गया था। वर्ष 2020 में पन्ना लाल यादव का बहराइच में एनकाउंटर हो गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *