नीरज शर्मा, ब्यूरो चीफ
एक साथ घर से निकले तीन पार्थिव शरीर तब बह चला आंसुओं का समंदर !
सैकड़ो लोगों की उपस्थिति में हुआ नीरज व उनकी दुलारी परियों का अंतिम संस्कार !
बाराबंकी । रामसनेही घाट के सुमेरगंज कस्बे में आज हर तरफ आंसुओं एवं हृदय की तड़पन से उठने वाले असहनीय दर्द का मंजर नजर आ रहा था। जी हां क्योंकि सुमेरगंज के यादव परिवार के घर में खिलखिलाने वाली बेटियां अपने पिता नीरज यादव के साथ सड़क हादसे में इस जग से विदा हो चुकी थी। जिस समय एक साथ मृत नीरज एवं उनकी दोनों बेटियों के पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए घर से उठे उसे देखकर लोगों के कलेजे दहल उठे । आंसुओं में डूबे लोगों के मुंह से बरबस यही निकल रहा था “हे भगवान यह आपने क्या कर डाला”। रामसनेहीघाट के सुमेरगंज का जर्रा जर्रा आज आंसुओं में डूबा हुआ नजर आया। मालूम हो कि यहां सुमेरगंज के निवासी 35 वर्षीय नीरज यादव एवं उनकी बेटी योगिता तथा भतीजी वर्तिका की सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई थी। यह घटना इतनी हृदय विदारक थी कि जिसने भी इसे सुना वह हतप्रभ होकर रह गया ।यादव परिवार की दोनों बेटियों को सदा अपने हृदय से लगाए रखने वाले नीरज यादव प्रतिदिन बिटिया योगिता एवं भतीजी वर्तिका को स्कूल लाने ले जाने का काम करते थे। बेटियां भी अपने नीरज पापा को खूब प्यार करती थी । चेहरे पर निश्चल मुस्कान लेकर जब यादव परिवार की यह परियां नीरज यादव के साथ अपने स्कूल के लिए प्रस्थान करती थी तब उन्हें देखकर लोगों का हृदय आनंदित हो जाता था। लेकिन आज शायद क्रूर काल को कुछ और मंजूर था ! किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि नीरज आज जब अपने घर की परियों को लेकर के निकलेंगे तो रास्ते में वह काल की गाल में समा जाएंगे और उनकी दुलारी बेटियां भी उनके साथ अकाल मृत्यु की साक्षी बन जाएंगी । सड़क दुर्घटना में मृत एक ही परिवार के उपरोक्त तीनों लोगों के बारे में जब खबर आम हुई तब पूरे क्षेत्र में हाहाकार मच गया । खासकर नीरज के भाई पंकज यादव जो की सांई कोचिंग चलाते हैं। वह तो टूटे दुख के पहाड़ से एकदम बदहवास हो गए , उनकी समझ में ही नहीं आ रहा था कि आखिर भगवान ने यह क्या कर डाला। बेटी गई ,भतीजी गई और प्यारा छोटा भाई भी छोड़कर चला गया। एक साथ तीन-तीन मौतें ! तमाम लोग सुमेरगंज स्थित यादव जी के घर पर सांत्वना देने के लिए पहुंचने लगे। लेकिन दुख का प्रवाह इतना भयावह था कि करुण चीत्कारो के आगे दुख कम करने के सारे प्रयास ध्वस्त होते जा रहे थे। लोग रो- रो के कह रहे थे कि वाह वर्तिका व योगिता तुम तो अपने पापा व चाचा नीरज को इतना प्यार करती थी कि उनके साथ ही इस जग से विदा हो गई ! वहीं कुछ लोग कहते थे कि नीरज भी अपने घर की परियों को इतना प्यार करते थे कि वह भी अपनी बेटियों के साथ सदा के लिए जग से विदा हो गए! कभी-कभी इस दुख के मंजर में सन्नाटा पसर जाता था तो एकाएक उठने वाली दर्द में डूबी हुई परिजनों व अपनो की करुण चीत्कार उपस्थित लोगों का हृदय बेध जाती थी । आंसुओं का समंदर हर तरफ बह रहा था। उपस्थित हजारों नयन अपने आंसुओं को रोकने का असफल प्रयास कर रहे थे। हृदय कंपित थे। हर तरफ बस दु:ख ही दु:ख दिखाई दे रहा था। शाम को जैसे ही नीरज यादव एवं योगिता तथा वर्तिका के अंतिम संस्कार के लिए यादव परिवार के घर से एक साथ तीन पार्थिव शरीर निकले ! तो हर तरफ दर्द का ऐसा करुण दृश्य दिखा कि लोगों के कलेजे दहल उठे। लोगों ने कहा भगवान यह आपने क्या कर डाला। फिलहाल कल्याणी नदी के शमशान घाट पर सैकड़ो लोगों की उपस्थिति में सभी मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया। जबकि आज सुमेरगंज कस्बे सहित रामसनेही घाट में सन्नाटे का माहौल था। लोग दुखों में डूबे हुए थे। कई घर ऐसे थे जहां पर भोजन तो बना लेकिन भोजन का कौर हलक से नीचे ना उतरा ? चर्चाओं के दौरान आंखें आंसुओं से सजल हो रही थी! स्पष्ट था की यादव परिवार की बेटियां अपने प्यारे बागवान नीरज यादव के संग इस जग से विदा हो गई थी! जिसे देख व सुनकर लोग यही कह रहे थे ! हे भगवान यह आप ने क्या किया !