जी 20 मेहमानों को राष्ट्रपति द्वारा दिए गए रात्रि भोज में खरगे को न आमंत्रित किए जाने पर कांग्रेस बिफरी !

एजेंसी

नई दिल्ली। जी-20 शिखर सम्मेलन की शानदार सफलता के लिए जहां सरकार ने कड़ी मेहनत की है वहीं हर भारतीय भी यही दुआ कर रहा है कि यह सम्मेलन पूरी दुनिया के दिलो दिमाग पर भारत की मजबूत छाप छोड़े, लेकिन विपक्ष का एजेंडा कुछ अलग ही है। खासतौर पर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की ओर से जिस तरह के सवाल उठाये जा रहे हैं वह गलत हैं। राष्ट्रपति की ओर से विदेशी मेहमानों के सम्मान में दिये जाने वाले रात्रिभोज में गणमान्य लोगों को आमंत्रित करने का एक निर्धारित प्रोटोकॉल है, उसी के आधार पर सभी को निमंत्रण भेजे जाते हैं। इस प्रोटोकॉल के तहत सभी केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और समाज के विभिन्न क्षेत्रों की जानीमानी हस्तियों को निमंत्रण भेजे गये हैं। राष्ट्रपति की ओर से जो निमंत्रण भेजे गये हैं उनमें कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का नाम भी शामिल है लेकिन कांग्रेस इस बात के लिए खफा है कि उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को क्यों नहीं निमंत्रण भेजा गया। कांग्रेस मोदी सरकार से इस बात का भी जवाब जानना चाहती है कि क्यों जी-20 शिखर सम्मेलन में कुछ देशों के राष्ट्राध्यक्ष नहीं आ रहे हैं। हालांकि सरकार चीन और रूस का नाम लिये बिना कह चुकी है कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि किस देश का प्रतिनिधित्व कौन-सा देश कर रहा है। सरकार का कहना है कि महत्वपूर्ण यह है कि सदस्य देशों के बीच मुद्दों पर सहमति बन पाती है या नहीं। जहां तक रात्रिभोज की बात है तो आपको बता दें कि राष्ट्रपति मुर्मू शनिवार को जी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल ‘भारत मंडपम’ में रात्रिभोज की मेजबानी करेंगी। इसमें उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियां मुकेश अंबानी, गौतम अडाणी, आनंद महिंद्रा तथा कई अन्य बड़े नाम शामिल हैं। इसी तरह अन्य क्षेत्रों से भी बड़े नाम रात्रिभोज में शामिल होने वाले देशी मेहमानों की सूची में शामिल हैं। इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एच.डी. देवेगौड़ा ने कहा है कि वह शनिवार को वैश्विक नेताओं के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मेजबानी में आयोजित जी20 रात्रिभोज में ‘‘स्वास्थ्य कारणों’’ से शामिल नहीं होंगे। डॉ. मनमोहन सिंह और देवेगौड़ा दोनों ने रात्रिभोज में शामिल होने में असमर्थता के बारे में केंद्र सरकार को सूचित कर दिया है। उधर, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस कार्यक्रम में शामिल होने की पुष्टि की है। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के भी जी20 रात्रिभोज में शामिल होने की संभावना है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी राष्ट्रपति के रात्रिभोज में शामिल होने के लिए नौ सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी आ रहे हैं। उनके करीबी सहयोगियों ने इसकी पुष्टि की है। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस शासित राज्यों कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के उपस्थित होने की संभावना नहीं है। ऐसी भी खबरें हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस रात्रिभोज में शामिल हो सकते हैं। इस बीच, कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, जो केंद्रीय मंत्री के समकक्ष हैं और संवैधानिक पद पर हैं, को रात्रिभोज में आमंत्रित नहीं किया गया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जी20 रात्रिभोज में खरगे को आमंत्रित नहीं किए जाने को लेकर शुक्रवार को ब्रसेल्स में सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि सरकार देश की 60 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले विपक्षी नेताओं को महत्व नहीं देती। कांग्रेस ने यह भी कहा है कि जी20 शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के शामिल नहीं होने से सवाल उठेंगे और विदेश मंत्री एस जयशंकर से उम्मीद है कि वह इस पर जवाब देंगे। पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि जब करोड़ों रुपये खर्च करके इतना बड़ा आयोजन हो रहा है तो सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश को इसका कुछ लाभ हो। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘देश को जी20 की बारी-बारी से मिलने वाली अध्यक्षता हासिल हुई है। आपने कार्यक्रम का आयोजन बहुत अच्छा किया है। इसमें दो राष्ट्राध्यक्ष नहीं आ रहे हैं तो सवाल उठेंगे और जवाब की उम्मीद भी होगी। हमारे विदेश मंत्री काबिल हैं, पढ़े लिखें हैं, लेकिन आजकल बदले-बदले नजर आ रहे हैं, उम्मीद है कि वह अपने विभाग को लेकर कुछ कहेंगे।’’ खेड़ा का कहना था, ‘‘हम विदेश मंत्री से कहना चाहते हैं कि जब करोड़ों रुपये खर्च करके आयोजन हो रहा है तो यह सुनिश्चित करना आपकी जिम्मेदारी है कि तमाम राष्ट्राध्यक्ष इसमें शामिल हों और रोटेशनल अध्यक्षता का भारत को कुछ लाभ मिले।” बहरहाल, यहां कांग्रेस को समझना होगा कि किसी भी वैश्विक आयोजन में सदस्य देशों का उपस्थित होना अनिवार्य नहीं होता। पवन खेड़ा जो कुछ कह रहे हैं उससे तो यही प्रदर्शित होता है कि वह चाहते हैं कि जयशंकर कैसे भी करके रूसी और चीनी राष्ट्रपति को भी इस सम्मेलन में लेकर आएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *