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नई दिल्ली। 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं। सभी दल अपने-अपने समीकरणों को मजबूत करने में लगे हुए हैं। इन सब के बीच 20 तारीख से मानसून सत्र शुरू हो रहा है। हालांकि, राजनीतिक दलों का पूरा का पूरा फोकस 2024 चुनाव है। 23 जून को पटना में हुए बैठक की सफलता के बाद विपक्षी दल बेंगलुरु में आज और कल बड़ी बैठक करेंगे। यह मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकजुटता का शक्ति प्रदर्शन होगा। तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए भी अपनी ताकत दिखाने जा रही है। 18 को एनडीए की भी एक बड़ी बैठक दिल्ली में होगी। इसमें 38 दल शामिल होंगे। बेंगलुरु में आज से विपक्षी दलों की बैठक शुरू हुई है। हालांकि आज का सत्र सिर्फ मेल मिलाप का है और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा रखी गई रात्रि भोज में सभी दल शामिल होंगे। कल 11:00 बजे से बड़ी बैठक शुरू होगी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तृणमूल कांग्रेस के प्रमुख ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल, शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन सहित तमाम विपक्ष नेता बेंगलुरु में पहुंच चुके हैं और वे सिद्धारमैया के रात्रिभोज में शामिल भी हुए हैं। विपक्ष की 26 पार्टियों के शीर्ष नेता दक्षिण भारत के इस प्रमुख शहर में इस बात को लेकर दो दिवसीय मंत्रणा करेंगे कि कैसे अगले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एक साझा कार्यक्रम तैयार किया जाए और एकजुट होकर उसे मात दी जाए। बैठक की शुरुआत से पहले यहां पोस्टरों के माध्यम से ‘हम एक हैं’ (यूनाइटेड वी स्टैंड) का संदेश देने का प्रयास किया गया। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) देशहित पर आधारित है और इसका लक्ष्य सेवा करना है, जबकि विपक्षी दलों के गठबंधन की बुनियाद ‘स्वार्थ’ पर टिकी है तथा उसके पास न तो कोई नेता है, न कोई नीति है और ना ही निर्णय लेने की कोई क्षमता। उन्होंने कहा कि राजग की मंगलवार शाम होने वाली बैठक में 38 दलों ने शामिल होने की पुष्टि की है। विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए भाजपा अध्यक्ष ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) को ‘भानुमति का कुनबा’ करार दिया और कहा, ‘‘ये ऐसा गठबंधन है, जिसके पास न तो नेता है और न ही नीयत है, न नीति है और न ही फैसला लेने की ताकत है। यह 10 साल की संप्रग सरकार के भ्रष्टाचार और घोटालों का टोला है।’’