मोदी सरकार ने नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी का नाम बदला, अब प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी सोसाइटी होगा नया नाम !

ए पी न्यूज़

नई दिल्ली। देश में स्थानों, स्मारकों और भवनों के नाम पर एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है। दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली स्थित नेहरू मेमोरियल का नाम बदल दिया है। अब नेहरू मेमोरियल को पीएम मेमोरियल के नाम से जाना जाएगा। नाम बदलने पर कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा है कि नाम में बदलाव प्रतिशोध और संकीर्णता का नतीजा है। नेहरू मेमोरियल अभी चर्चा में है। ऐसे में जानना जरूरी है कि नेहरू मेमोरियल का इतिहास क्या है? इसकी विशेषता क्या है? इस पर अभी विवाद क्या हो रहा है? पहले भी क्या इससे जुड़ा कोई विवाद रहा है? आइये समझते हैं…

रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की एक विशेष बैठक आयोजित की गई। इसमें नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदलकर ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय और लाइब्रेरी सोसाइटी’ करने का निर्णय लिया गया। विशेष बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, जो सोसाइटी के उपाध्यक्ष भी हैं।
संस्कृति मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘कार्यकारी परिषद ने महसूस किया कि संस्थान के नाम में वर्तमान गतिविधियों को प्रतिबिंबित होना चाहिए, जहां अब एक ऐसा संग्रहालय भी शामिल है जो स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की सामूहिक यात्रा को दर्शाता है और प्रत्येक प्रधानमंत्री के राष्ट्र निर्माण में योगदान को प्रदर्शित करता है।’

एडविन लुटियंस की इंपीरियल कैपिटल का हिस्सा रहा तीन मूर्ति भवन अंग्रेजी शासन में भारत के कमांडर इन चीफ का आधिकारिक आवास था। ब्रिटिश भारत के अंतिम कमांडर इन चीफ के जाने के बाद 1948 में तीन मूर्ति भवन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आधिकारिक आवास बन गया। पंडित नेहरू 16 साल तक इस घर में रहे और यहीं पर उन्होंने अंतिम सांस ली। इसके बाद इस तीन मूर्ति भवन को पंडित नेहरू की याद में उन्हें समर्पित कर दिया गया और इसे पंडित नेहरू म्यूजियम एंड मेमोरियल के नाम से जाना जाने लगा। अब केंद्र सरकार ने इसका नाम नेहरू मेमोरियल से बदलकर पीएम म्यूजियम एंड सोसाइटी कर दिया है। 14 नवंबर, 1964 को पं० नेहरू की 75वीं जयंती पर भारत के राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने औपचारिक रूप से तीन मूर्ति भवन राष्ट्र को समर्पित किया और नेहरू स्मारक संग्रहालय का उद्घाटन किया।

वर्तमान में यहां व्याख्यान और सेमिनार नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं और विद्वानों के विचार-विमर्श प्रकाशित होते हैं। NMML ने हाल के दिनों में अपने शैक्षणिक संसाधनों में काफी विस्तार किया है। आज, पुस्तकालय में न केवल आधुनिक और समकालीन इतिहास का एक संपूर्ण संग्रह है, बल्कि एक प्रभावशाली और विविध अभिलेखीय भंडार भी है। विभिन्न विषयों और रुचि के भारतीय और विदेशी विद्वानों के लिए यह प्रचलित केंद्र है।
प्रधानमंत्री मोदी हैं सोसाइटी के अध्यक्ष
जनरल काउंसिल और नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के अध्यक्ष हैं, जबकि राजनाथ सिंह इसके उपाध्यक्ष हैं। इनके अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, धर्मेंद्र प्रधान, वी. मुरली धरण, जी किशन रेड्डी, अनुराग ठाकुर समेत 29 सदस्य इस सोसाइटी में शामिल हैं। NMML के कार्यकारी परिषद में आठ सदस्य हैं। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा भी शामिल हैं। NMML की वित्तीय समिति पांच सदस्यीय है जिसके अध्यक्ष पूर्व राज्यसभा सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे हैं।
कांग्रेस ने केंद्र के नेहरू मेमोरियल के नाम बदलने वाले फैसले की आलोचना की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘नाम में बदलाव प्रतिशोध और संकीर्णता का नतीजा है। बीते 59 वर्षों से नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी वैश्विक बौद्धिकता का अहम स्थान और किताबों का खजाना रहा है। पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के वास्तुकार के नाम और विरासत को विकृत, तिरस्कृत और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे। असुरक्षाओं के बोझ तले दबे एक छोटे कद के व्यक्ति स्वयंभू विश्वगुरु हैं।’
हालांकि, केंद्र ने इस फैसले का बचाव किया है। रक्षा मंत्री और सोसाइटी के उपाध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नाम में परिवर्तन के प्रस्ताव का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि अपने नए रूप में यह संस्थान जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान और उनके सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों से निपटने की उनकी रणनीति को प्रदर्शित करता है। रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री पद को एक संस्था बताते हुए और विभिन्न प्रधानमंत्रियों की यात्रा की तुलना इंद्रधनुष के विभिन्न रंगों से की। राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि एक इंद्रधनुष को सुंदर बनाने  के लिए उसमें सभी रंगों का आनुपातिक रूप से प्रतिनिधित्व किया जाना चाहिए। इस प्रकार हमारे सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों को सम्मान देने के लिए इस प्रस्ताव के द्वारा इसे नया नाम दिया गया है और यह लोकतांत्रिक भी है। साल 2016 में पीएम मोदी ने एक प्रस्ताव रखा था कि तीन मूर्ति परिसर में देश के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा। उसी साल 25 नवंबर को NMML की 162वीं बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बीते साल 21 अप्रैल को प्रधानमंत्री संग्रहालय को जनता के लिए खोल दिया गया था।
प्रधानमंत्री संग्रहालय नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का ही एक भाग है। जब 2018 में इसकी नींव रखी गई थी तब भी विवाद हुआ था। उस वक्त NMML के कुछ सदस्यों ने आरोप लगाया था कि नया संग्रहालय नेहरू की विरासत को कमजोर करेगा। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा था और NMML की प्रकृति को नहीं बदलने का आग्रह किया था। इसे सत्तारूढ़ सरकार का एजेंडा बताते हुए, पूर्व पीएम ने लिखा था ‘कोई भी बदलाव नेहरू के योगदान को समाप्त नहीं कर सकता है।’

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