ब्यूरो रिपोर्ट
नई दिल्ली। हरियाणा और महाराष्ट्र में महत्वपूर्ण चुनावी हार के बाद, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर चिंता व्यक्त करते हुए, बैलेट पेपर वोटिंग की वापसी की वकालत की है। अब्दुल्ला ने एक साक्षात्कार में कांग्रेस की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि वोटिंग मशीनें “केवल तभी समस्या नहीं हो सकतीं जब आप चुनाव हार जाते हैं”। अब्दुल्ला ने पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में कहा, “जब आपके 100 से अधिक सांसद एक ही ईवीएम का उपयोग करते हैं, और आप इसे अपनी पार्टी की जीत के रूप में मनाते हैं, तो आप कुछ महीने बाद पलटकर यह नहीं कह सकते कि… हमें ये ईवीएम पसंद नहीं हैं क्योंकि अब चुनाव परिणाम उस तरह से नहीं आ रहे हैं जैसा हम चाहते हैं।” अब्दुल्ला ने अपना खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वे इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव हार गए थे, तो उन्होंने “कभी भी ईवीएम को दोष नहीं दिया”। उन्होंने कहा, “आपको ईवीएम से दिक्कत कैसे हो सकती है और फिर भी आप चुनाव लड़ते रहें… अगर आपको मशीनों पर भरोसा नहीं है, तो आपको चुनाव नहीं लड़ना चाहिए… आप यह नहीं कह सकते कि अगर मैं जीत गया तो चुप रहूंगा और अगर मैं हार गया तो मशीनों में कुछ गड़बड़ है।”
इस मौके का फायदा उठाते हुए भाजपा ने अब्दुल्ला की टिप्पणी का इस्तेमाल कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधने के लिए किया। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया, “कांग्रेस के जीतने पर ईवीएम अच्छी नहीं हो सकती और हारने पर खराब। राहुल गांधी लगातार हारे हुए व्यक्ति की तरह दिख रहे हैं, जिनके साथ कोई खड़ा नहीं होना चाहता।”