नीरज शर्मा
ब्यूरो रिपोर्ट
लखनऊ। एसटीएफ ने सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले दो जालसाजों को दबोचा है। दोनों सेना, एयरपोर्ट अथॉरिटी, नगर निगम, आयुष मंत्रालय सहित कई विभागों में नौकरी का झांसा देकर ठगी करते थे। दोनों जालसाजों को गोमतीनगर विस्तार से पकड़ा गया है। इनके पास दो दर्जन से अधिक फर्जी नियुक्ति पत्र व अन्य दस्तावेज मिले हैं। दोनों लोगों ने कुबूला कि कमीशन लेकर कई लोग उनके पास बेरोजगार युवकों को लाते थे। एसटीएफ गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।
एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक पकड़े गए दोनों जालसाजों में आदर्शनगर, कल्याणपुर निवासी विनय कुमार मिश्रा और सरोजनीनगर निवासी विजय कुमार दुबे शामिल हैं। विनय का एक मकान गोमतीनगर विस्तार सेक्टर छह में भी है, जबकि विजय कुमार मूल रूप से बिहार के नेपालगंज का रहने वाला है। गाजीपुर के कासिमाबाद निवासी अमरदीप सिंह ने पिछले साल जुलाई में मुकदमा दर्ज करा आरोप लगाया था कि इन लोगों ने उसे आयुष मंत्रालय में आपरेटर पद पर नौकरी दिलाने की बात कह 7.55 लाख रुपये ले लिए, लेकिन जो नियुक्ति पत्र दिया वह फर्जी निकला। इस पर रुपये वापस मांगे तो धमकी दी।
एसटीएफ के एसपी विशाल के मुताबिक विनय मिश्र ने 2020 में एक कंपनी प्रगति पथ सर्विसेज के नाम से बनाई। इसमें संजय सिंह व सचेंद्र शुक्ला को साझीदार बनाया। इस कंपनी की आड़ में ये लोग बेरोजगारों को सरकारी विभागों में स्थायी और संविदा पर नौकरी दिलाने के नाम पर ठगने लगे। विजय दुबे और रमेश गिरि इन तीनों के पास बेरोजगारों को लाते और कमीशन लेकर अलग हो जाते। बाकी रकम में विनय व संजय का 40-40 प्रतिशत और सचेंद्र को 20 प्रतिशत हिस्सा मिलता था। विनय बेरोजगारों से खुद को फॉरेस्ट रेंजर बता कर मिलता था। इससे लोग उस पर आसानी से विश्वास कर लेते थे।
एसटीएफ के मुताबिक जालसाजों ने आयुष मंत्रालय, लखनऊ मेट्रो, एयरपोर्ट अथॉरिटी, लखनऊ नगर निगम, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री, आर्मी नर्सिंग सहित कई विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की। जालसाजों ने लखनऊ नगर निगम में संविदा भर्ती कराने के लिए 22 हजार रुपये के हिसाब से 18 लोगों, मेट्रो लखनऊ में कस्टमर केयर में संविदा भर्ती के नाम पर 40 हजार प्रति के हिसाब से 14 लोगों, टीजीटी में नियुक्ति के नाम पर दो लाख रुपये प्रति 3 लोगों, वहीं लखीमपुर के अनिल तिवारी से 3 लाख, आयुष मंत्रालय में संविदा नौकरी के नाम पर 25 लोगों से 10 लाख रुपये वसूले थे। एसटीएफ के मुताबिक पूछताछ में विनय मिश्रा ने कुबूल किया कि इस जालसाजी के लिए बड़ा नेटवर्क तैयार किया है, जिसमें विजय कुमार दुबे, रमेश गिरि जैसे एजेंट बेरोजगारों को फंसाकर लाते थे। उनको मोटा कमीशन दिया जाता था। जालसाजों के खिलाफ लखनऊ के तालकटोरा, सुल्तानपुर के कोतवाली देहात, विभूतिखंड, कासिमाबाद गाजीपुर, सुल्तानपुर गोसाईंगंज में छह मुकदमे दर्ज हैं।