अधिकारियों व प्रधानों के लिए कामधेनु गाय बनी मनरेगा योजना

नीरज शर्मा, ब्यूरो चीफ

फतेहपुर विकासखंड में नहीं रुक रहा मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार

फतेहपुर / बाराबंकी। जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है वहीं बाराबंकी जनपद में सरकार आंख नाक कान कहे जाने वाले आला अधिकारी योगी सरकार की जड़ों में मट्ठा डालने का काम कर रहे हैं। ताजा मामला ब्लॉक फतेहपुर से जुड़ा हुआ है जहां ब्लॉक के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से ग्राम प्रधान मनेरगा में फर्जी मजदूरों की हाजिरी लगाकर सरकार के मनसूबों पर पानी फेरने का कार्य कर रहे हैं। ब्लॉक की ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य चल रहा है जिसमें मजदूरों की हाजिरी ऑनलाइन चढ़ाई जाती है। कमोवेश ब्लॉक के सभी ग्राम पंचायतों में कम श्रामिक लगाए जाते ही या तो ठेके पर लाए जाते हैं और मस्टर रोल ज्यादा मजदूरों का भरा जा रहा है। कुछ ग्राम पंचायत में तो मनरेगा का कार्य ही नहीं कराया जाता है और केवल फोटो खींचकर अपलोड करने से ही काम चला लिया जाता है। अगर उनसे कोई ग्रामीण या पत्रकार शिकायत करता है तो उसे जांच कर कार्यवाही का आश्वासन देकर इतिश्री कर ली जाती है। लेकिन अगर कार्रवाई की बात की जाए तो शिकायत करने के कई दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। मनरेगा के भ्रष्टाचार के मामलों की हकीकत जानने के लिए समाचार पत्र के संवाददाता ने विकासखंड फतेहपुर की ग्राम पंचायत साढ़ेमऊ में लगभग सुबह 11: 09 मिनट पर लंबुआ तालाब की खुदाई का नजारा देखा तो दंग रह गया। वहां पर केवल 9 मजदूर काम कर रहे थे जबकि मनरेगा पोर्टल पर ऑनलाइन 49 मजदूरों की हाजिरी दर्ज की गई थी। इस संबंध में जब फतेहपुर के खंड विकास अधिकारी को संवाददाता ने अवगत कराया तो उन्होंने कहा कि मजदूर खाना खाने के लिए चले गए होंगे इसलिए वहां पर मजदूर नहीं दिख रहे हैं। इसके बाद संवाददाता विकासखंड फतेहपुर की ही गंगौली ग्राम पंचायत में खुद रहे तालाब पर लगभग 11:45 बजे पहुंचा वहां स्थिति और भी गंभीर नजर आई। गंगौली स्थित मांट तालाब की खुदाई में ऑनलाइन 102 मजदूरों की जगह दो-तीन मजदूर ही नजर आए, जबकि 10-12 फावड़े और तसले मिले। लेकिन कुछ ही देर बाद एक अज्ञात महिला के साथ ही एक युवक जिसने अपना नाम अंकित गौतम बताया और अपने को कार्य प्रभारी मेट बताते हुए संवाददाता को मोटरसाइकिल की चाबी छीन कर जबरदस्ती तालाब पर ही बंधक बना लिया और अपने पीछे ही 40-50 मजदूरों/ग्रामीणों को भी इकट्ठा कर लिया। संवाददाता ने गंगौली गांव में ऑनलाइन फर्जी हाजिरी लगाने की सूचना दोबारा खंड विकास अधिकारी को फोन पर दी और अपने आप को बंधक बनाए जाने के बारे में भी खंड विकास अधिकारी को अवगत कराया। खंड विकास अधिकारी की तरफ से कोई समुचित आश्वासन न मिलने पर संवाददाता ने 112 पर फोन किया और फतेहपुर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक को भी फोन कर उपरोक्त मामले की सूचना दी। लगभग आधे घंटे के बाद 112 की पुलिस के पहुंचने पर संवाददाता को अपने आप को कार्य प्रभारी बताने वाले अंकित गौतम व अज्ञात महिला समेत अन्य ग्रामीणों से बंधन मुक्त कराया गया। उपरोक्त घटना की सूचना डीसी मनरेगा के भी मोबाइल पर देने का प्रयास किया लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। बाद में तकरीबन 2 घंटे के बाद डीसी मनरेगा को मैसेज करने के बाद उनकी काल आई तब संवाददाता ने पूरे घटनाक्रम से उनको अवगत कराया। इस घटना से यह साफ है कि मनरेगा योजना में मजदूरों की मजदूरी अवैध रूप से निकाले जाने की खबरें सच साबित हो रही है।
खबर प्रकाशित करने के बाद इस पर मनरेगा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी डीसी मनरेगा क्या कार्रवाई करते हैं या रोज की तरह फर्जी हाजिरी लगाये जाने का सिलसिला जारी रहेगा।